दहलीज हूँ... दरवाजा हूँ... दीवार नहीं हूँ।
अंधेरा हर तरफ और मैं दीपक की तरह जलता रहा।
झुकाकर पलकें शायद कोई इकरार किया उसने,
जब से तुमको देखा है दिल बेकाबू हमारा है,
मैं धीरे-धीरे उनका दुश्मन-ए-जाँ बनता जाता हूँ,
न जाने उससे मिलने का इरादा कैसा लगता है,
भटका हूँ तो क्या हुआ संभालना भी खुद को होगा।
बिछड़ के तुझसे shayari in hindi हर रास्ता सुनसान रहता है,
तेरे इशारों पर मैं नाचूं क्या जादू ये तुम्हारा है,
वो किताबें भी जवाब माँगती हैं जिन्हें हम,
अब तक सबने बाज़ी हारी इस दिल को रिझाने में,
रास्ते पर तो खड़ा हूँ पर चलना भूल गया हूँ।
खुदा की तरह चाहने लगे थे उस यार को, वो भी खुदा की तरह हर एक का निकला।
रहा मैं वक़्त के भरोसे और वक़्त बदलता रहा,