दहलीज हूँ... दरवाजा हूँ... दीवार नहीं हूँ।
हम उससे थोड़ी दूरी पर हमेशा रुक से जाते हैं,
वो लम्हे याद करता हूँ तो लगते हैं अब जहर से।
जो सूख जाये दरिया तो फिर प्यास भी न रहे,
मैं धीरे-धीरे उनका दुश्मन-ए-जाँ बनता जाता हूँ,
मंजिल की तलाश में खुद को अकेले चलना होगा,
मुझे सताने के सलीके तो उन्हें बेहिसाब आते हैं,
खुदा माना, Love Quotes आप न माने, वो लम्हे गए यूँ ठहर से,
सौदा करते हैं लोग यहाँ एहसासों के बदले,
वो किताबें भी जवाब माँगती हैं जिन्हें हम,
मुझे छोड़ने का फैसला तो वो हर रोज करता है,
जर्रे-जर्रे में वो है और कतरे-कतरे में तुम।
मैं जागता हूँ तेरा ख़्वाब देखने के लिए।
रहा मैं वक़्त के भरोसे और वक़्त बदलता रहा,